Safar Ki Dua In Hindi, Arabic & English

आज यहां पर आप एक बहुत ही खुबसूरत भरी पाक दुआ यानी कि सफर की दुआ जानेंगे, जो हमारी सफर को महफूज़ और आसान बनाता है।

अगर हम सफर पर जाने से कब्ल सफर की दुआ एक दफा पूरा यकीन के साथ पढ़ लेते हैं तो हमारी हिफाज़त खुदा के फ़रिश्ते करते हैं।

ऐसे में आप भी हमेशा सफर में जानें से पहले एक मरतबा ज़रूर इस दुआ को पढ़ें, जिसे आपकी हिफाज़त भी रहे और बरकत भी आए।

Safar Ki Dua

यहां पर सफर की दुआ हिंदी के साथ साथ अरबी और इंग्लिश के साफ़ और आसान लफ्ज़ों में तर्जुमा के साथ बताया गया है।

जिसे आप अपने पसंदीदा जबान में सही सही और आसानी से सफर की दुआ पढ़ कर याद रख सकें और फिर कहीं देखना ना पड़े।

Safar Ki Dua In Hindi
Safar Ki Dua In Hindi

Safar Ki Dua In Hindi

सुब्हानल्लजी सख़्खरालना हाज़ा वमाकुन्ना लहु मुकरिनीन व इन्ना इला रब्बिना लमुन कलिबून

Safar Ki Dua In Arabic

سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ

Safar Ki Dua In English

Subhanallazi Sakhraalanaa Haazaa Wamaakunnaa Lahu Mukrineen Wa Inna illa Rabbina Lamun Kaliboon.

Safar Ki Dua Ka Tarjuma

पाक व बुलन्द है वह खुदा जिसने इसको हमारे बस में कर दिया हालांकि हम इसको काबू में करने वाले न थे यकिनन हम अपने परवरदिगार की तरफ लौट जानें वाले हैं

सफर की सुन्नत व आदाब

आपको जरूरत के अनुसार किसी भी दिन सफर करना चाहिए लेकिन अगर सफर में जल्दी न हो तो जुमेरात को सफर का इरादा करें।

सफर शुरू करने का सही और बेहतर वक्त सवेरे है क्योंकि सुबह चलना हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कि सुन्नत है।

तन्हा सफर से बचें इससे आपकी परेशानी भी बढ़ेगी और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अकेले सफर करने से बचने की ताकीद फरमाई है।

अगर दो से ज्यादा हैं तो किसी एक को रहबर बनाए ताकि कोई भी अपनी मनमानी से इधर उधर न जा सके क्योंकी बगैर राय मस्वारा के सफ़र में बदमजगी पैदा होगी।

हमारी मां बहने कभी भी तन्हा सफ़र न करें औरत को हमेशा किसी महरम के साथ सफर करना चाहिए।

अलबत्ता सफर शहर के अन्दर हो या आधी ही दिन का क्यूं न हो।

एक हदीस शरीफ के मुताबिक रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि।

अल्लाह तआला और कयामत पर इमान रखने वाली औरत के लिए महरम के बगैर सफर जायज़ नहीं।

लिबासे सफर पहन कर अगर वक्ते मकरूह न हो तो घर में 4 रकात नफल पढ़ कर बाहर निकलें फिर अपने नजदीकी मस्जिद से रुखसत हो।

अंतिम लफ्ज़

अब तक तो आप भी सफर की दुआ जान गए होंगे और इस छोटी सी दुआ को याद भी रख लिए होंगे जिसे हमेशा सफर से पहले इस दुआ को पढ़ेंगे।

हमने यहां पर दुआ के साथ साथ सफर की सुन्नत व आदाब बहुत ही साफ़ और आसान लफ्ज़ों में लिखा था जिसे आप आसानी से समझ सकें।

अगर अभी भी आपके मन में कोई डाउट हो या फिर किसी तरह का कोई सवाल भी हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट अस पेज के ज़रिए जरूर पूछें।